मनहे मुझे उड़ने को,
जो हो रहा है उसमें ग़ुम होने को,
जो चाहे वो हासिल हो जाए,
जो पाए वो भी ख़्वाहिश बन जाए,
हाथ उठे दुआ माँगने को,
अगले ही पल वो इबादत कुबूल हो जाए,
मनहे मुझे उड़ने को,
जो हो रहा है उसमें ग़ुम होने को,
जो लफ्जों में बायाँ हो वो अल्फाज ही क्या,
खामोशी कि ज़ुबान में कुछ बायाँ आज किया जाए,
दूर् से ही तारों को आज ताके कुछ यूँ,
उन्हें तोड़ने कि तमन्ना पुरी हो जाए,
दुनियाँ से लड़ने के बहाने हजारों हैं,
पहले ख़ुद से ही जीत लिया जाए,
उसअक्स कि झलक कुछ यूँ मिलें,
के ख़ुद के अश्क़ धूल जाए,
मनहे मुझे उड़ने को,
जो हो रहा है उसमें ग़ुम होने को
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